रोटी कपड़ा मकान ये ज़रूरतें ढूंढ रहे हैं
जेब में पैसा, पास में गाड़ी बंगला, ये ख्वाहिशें ढूंढ रहे हैं
नासमझों की दुनिया में हम समझदारी के काफिले ढूंढ रहे हैं
जिंदगी हो तो मौत और न हो तो जिंदगी ढूंढ रहे हैं
कहने को तो भगवान् ही सब कुछ है
लेकिन जब उसी से मिलने का वक्त आए
तो मुंह छिपाते घूम रहे हैं
हम इंसान भी न, ये क्या ढूंढ रहे हैं??
—अनोमा